परीक्षा पैटर्न:–
- कुल प्रश्नों की संख्या: 100
- कुल अंक: 300
- प्रत्येक प्रश्न के अंक: 3
- नकारात्मक अंकन: प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1 अंक की कटौती की जाएगी |
- परीक्षा अवधि: 2 घंटे
विषयवार प्रश्न वितरण:–
- सामान्य हिंदी : 15 प्रश्न
- राजस्थान का सामान्य ज्ञान, इतिहास एवं संस्कृति : 25 प्रश्न
- कृषि विज्ञान (एग्रोनॉमी): 20 प्रश्न
- उद्यानिकी (हॉर्टिकल्चर): 20 प्रश्न
- एनिमल हसबेंडरी (पशु पालन) : 20 प्रश्न
विषयानुसार अंक :-
- हिंदी – 45 अंक
- सामान्य ज्ञान ,इतिहास ,संस्कृति – 75
- एग्रोनोमी – 60
- हॉर्टिकल्चर (उद्यान विज्ञान) – 60
- एनिमल हसबेंडरी (पशु पालन) – 60
1.सामान्य हिन्दी:-
- शब्द युग्मों का अर्थ भेद।
- पर्यायवाची शब्द और विलोम शब्द।
- शब्द शुद्धि दिये गये अशुद्ध शब्दों को शुद्ध लिखना।
- वाक्य शुद्धि वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को छोड़कर वाक्य संबंधी अन्य व्याकरणिक अशुद्धियों का शुद्धिकरण।
- वाक्यांश के लिये एक उपयुक्त शब्द।
- पारिभाषिक शब्दावली प्रशासन से सम्बन्धित अंग्रेजी शब्दों के समकक्ष हिन्दी शब्द।
- मुहावरे याक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है।
- लोकोक्ति वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है।
2.राजस्थान का सामान्य ज्ञान, इतिहास एवं संस्कृति:-
- राजस्थान की भौगोलिक संरचना भौगोलिक विभाजन, जलवायु, प्रमुख पर्वत, नदियां, मरूस्थल एवं फसलें ,राजस्थान का इतिहास ,सम्यताएं कालीबंगा एवं आहड ,प्रमुख व्यक्तित्व महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप, राव जोधा, राव मालदेव, महाराजा जसवंतसिंह, वीर दुर्गादास, जयपुर के महाराजा मानसिंह प्रथम, सवाई जयसिंह, बीकानेर के महाराजा गंगासिंह इत्यादि। राजस्थान के प्रमुख साहित्यकार, लोक कलाकार, संगीतकार, गायक कलाकार, खेल एवं खिलाडी इत्यादि।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान का योगदान एवं राजस्थान का एकीकरण।विभिन्न राजस्थानी बोलियां, कृषि, पशुपालन क्रियाओं की राजस्थानी शब्दावली ,कृषि, पशुपालन एवं व्यावसायिक शब्दावली,लोक देवी-देवता प्रमुख संत एवं सम्प्रदाय।प्रमुख लोक पर्व, त्योहार, मेले पशुमेले,राजस्थानी लोक कथा, लोक गीत एवं नृत्य, मुहावरे, कहावतें, फड, लोक नाट्य, लॉक पाद्य एवं कठपुतली कला,विभिन्न जातियां जन जातियां,स्त्री पुरुषों के वस्त्र एवं आभूषण।चित्रकारी एवं हस्तशिल्पकला चित्रकला की विभिन्न शैलियां, भित्ति चित्र, प्रस्तर शिल्प, काष्ठ कला. मृदमाण्ड (मिट्टी)कला, उस्ता कला, हस्त औजार, नगदे-गलीचे आदि।स्थापत्य दुर्ग, महल, हवेलियां, छतरियां, बावडियां, तालाब, मंदिर-मरिजद आदि ,संस्कार एवं रीति रिवाज ,धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल ।
3.शस्य विज्ञान:-
राजस्थान की भौगोलिक स्थिति, कृषि एवं कृषि सांख्यिकी का सामान्य ज्ञान। राज्य में कृषि, उद्यानिकी एवं पशुधन का परिदृश्य एवं महत्व। राजस्थान की कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादन में मुख्य बाधाएँ। राजस्थान के जलवायुवीय खण्ड, मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता। क्षारीय एवं उसर भूमियां, अम्लीय भूमि एवं इनका प्रबन्धन
राजस्थान में मृदाओं का प्रकार, मृदा क्षरण, जल एवं मृदा संरक्षण के तरीके, पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्य, उपलब्धता एवं स्त्रोत, राजस्थानी भाषा में परम्परागत शस्य क्रियाओं की शब्दावली। जीवांश खादों का महत्व, प्रकार एवं बनाने की विधियां तथा नत्रजन फास्फोरस, पोटेशियम उर्वरक, एकल, मिश्रित एवं योगिक उर्वरक एवं उनके प्रयोग की विधियां। फसलोत्पादन में सिंचाई का महत्य, सिंचाई के स्त्रोत, फसलों की जल मांग एवं प्रभावित करने वाले कारक। सिंचाई की विधियां विशेषतः फव्वारा, बून्द बून्द, रेनगन आदि। सिंचाई की आवश्यकता, समय एवं मात्रा। जल निकास एवं इसका महत्व, जल निकास की विधियां। राजस्थान के संदर्भ में परम्परागत सिंचाई से संबंधित शब्दावली। मृदा परीक्षण एवं समस्याग्रस्त मृदाओं का सुधार। साईजेल, हे मेकिंग, चारा संरक्षण ,खरपतवार विशेषताएँ, वर्गीकरण, खरपतवारों से नुकसान, खरपतवार नियंत्रण की विधियां, राजस्थान की मुख्य फसलों में खरपतवारनाशी रसायनों से खरपतवार नियंत्रण। खरतपवारों की राजस्थानी भाषा में शब्दावली ,निम्न मुख्य फसलो के लिए जलवायु, मृदा, खेत की तैयारी, किस्में, बीज उपचार, बीज दर, बुवाई समय, उर्वरक,सिंचाई, अन्तराशस्यन, पौध संक्षण, कटाई मढाई, भण्डारण एवं फसल चक्र की जानकारी -अगाज वाली फसले मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं एवं जौ ,दाले मूंग, चेवला, मसूर, उड़द, मोठ, चना एवं मटर ,तिलहनी फसले मूंगफली तिल, सोयाबीन, सरसों, अलसी, अरण्डी, सूरजमुखी एवं तारामीरा ,रेशेदार फसले कपास ,चारै वाली फसले बरसीम, रिजका एवं जई ,मसाले वाली फसले सौंफ, मैथी, जीरा एवं धनिया ,नकदी फसले प्यार एवं गन्ना ,उत्तम बीज के गुण, बीज अंकुरण एवं इसको प्रभावित करने वाले कारक, बीज वर्गीकरण, मूल केन्द्रक बीज, प्रजनक बीज, आधार बीज, प्रमाणित बीज शुष्क खेती महत्व, शुष्क खेती की तकनीकी। मिश्रित फसल, इसके प्रकार एवं महत्व। फसल चक्र महत्व एवं सिद्धान्त। राजस्थान के संदर्भ में कृषि विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी। अनाज एवं बीज का भण्डारण।
4.उद्यानिकी:-
उद्यानिकी फलों एवं सब्जियों का महत्य, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य। फलदार पौधों की नर्सरी प्रबन्धन। पादम प्रवर्धन, पौध रोपण। फलोद्यान के स्थान का चुनाव एवं योजना। उद्यान लगाने की विभिन्न रेखांकन विधियां। पाला, लू एवं अफलन जैसी मौसम की विपरीत परिस्थितियां एवं इनका समाधान। फलोद्यान में विभिन्न पादप वृद्धि नियंत्रकों का प्रयोग। सब्जी उत्पादन की विधियां एवं सब्जी उत्पादन में नर्सरी प्रबन्धन।
राजस्थान में जलवायु, मृदा, उन्नत किस्में, प्रवर्धन विधियां, जीवांश खाद व उर्वरक, सिंचाई, कटाई, उपप्ज, प्रमुख कीट एवं बीमारिया एवं इनका नियंत्रण सहित निम्न उद्यानिकी फसलों की जानकारी आग, नीम्बू वर्गीय पाल, अमरूद, अनार, पपीता, बेर, खजूर, आंवला, अंगूर, लहसूवा, बील, टमाटर, प्याज, फूल गोभी, पत्ता गोभी, भिण्डी, कददू वर्गीय सब्जियां, बैंगन, मिर्च, लहसून, मटर, गाजर, मूली, पालक। फल एवं सब्जी परीरक्षण का महत्य, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य, फल परीरक्षण के सिद्धान्त एवं विधियां। डीब्बाबन्दी, सुखाना एवं निर्जलीकरण की तकनीक व राजस्थान में इनकी परम्परागत विधियां। फलपाक (जैग), अवलेह (जेली), केन्डी, शर्बत, पानक (स्ववेश) आदि को बनाने की विधियां ,औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ में सामान्य ज्ञान। राजस्थान के संदर्भ में उद्यान विभाग की महत्यपूर्ण योजनाएं।
5.पशुपालन:-
पशुपालन का कृषि में महत्य। पहुघन का दूध उत्पादन में महत्व एवं प्रबन्धन। निम्न्न पशुधन नस्लों की विशेषताएँ. उपयोगिता व उत्पति स्थान का राामान्य ज्ञान:-
गाय गीर थारपारकर, नागौरी, राती जसी, होलिस्टन फिजीवन, मालवी, हरियाणा, स्वात्ती ,मेरा मूर्य, सुस्ती, नीली राबी, गदावरी, जाफरबादी, गेहसाना ,बकरी जमनापारी, गखरी, बीटल, दोगनबर्न ,भेड़ मारवाडी, बोकला मालपुरा, मेरीनो, कराकुल, जैसलमेरी, अधिवस्त्र, अविकालीन ,ऊंट प्रबन्धन, पशुओं की आयु गणना ,सामान्य पशु औषधियों के प्रतभर उपयोग, मात्रा तथा दवाईयां देने का तरीका जीयाणुरोधक फिनाईल, कार्बोलिक एसिड, पोटेशियम परमेगनेट (लाल दया), लाईसोल विरेचक गेग्नेशियम सल्फेट (मैकसल्क), अरण्डी का तेल ,कृनिनाशक नीला थोथा, फिनोविश ,गर्दन तेल तारपीन का तेल , राजस्थान के पशुओं की मुख्य बीमारियों के कारक लक्षण तथा उपचार पशु-प्लेग, खुरपका मुंहपका, लगड़ी, एन्प्रेक्रा, गलघोठं, थनैला रोग, दुष्प बुखार, रानीखेत, गुर्गेयों की चेचक, गुर्गियों की जूनीपेचिप्स।दुग्ध उत्पादन, दुग्ण एवं बीस संचडन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, दुग्ध परिरक्षण, दुग्ध परीक्षण एवं गुणवत्ता। दुग्ध में हसा को ज्ञात करना, अपेक्षित धनत्व, अम्लता तथा क्रीम पृथक्करण की विवि तथा यंत्रों की आवश्यकता एवं दही पनीर व श्री बनाने की विधि। दुग्धशाला के बरतनों की सफाई एवं जीवाणु रहित करना। राजस्थान के संदर्भ में पशुपालन क्रियाओं एवं गतिविधियों से संबंधित शब्दावली।
