ट्राइक्रोग्रामा (Trichogramma spp.):-
. यह हाइमेनोप्टेरा गण का एक अण्ड परजीवी (Egg parasitoid) सुक्ष्म कीट है।
जो लेपिडोप्टेरा गण के हानिकारक कीटों जैसे कपास की लड़ें, चने की लटें, गन्ना व धान आदि के तना छेदक कीटो के अण्डे में अपने अण्डे देता है इसलिए इसे अंड परजीव्याभ (Egg parasitoid) कहते है।
इसकी विभिन्न प्रजातियां है जो अलग अलग फसलों के कीटो में प्रभावी है जैसे- गन्ना एंव कपास के कीटों के लिए ट्राइक्रोग्रामा किलोनिल व धान के तना छेदक के लिए ट्राइक्रोइमा जापोनिकम বর্ষ
ट्राइकोग्रामा के एक कार्ड पर लगभग 6000-20000 पोषी कीटों के अण्डों पर उतनी ही संख्या में परजीवी कीट उत्पन्न होते है।
धान का शलभ कीट कोरसायरा सेफोलिनिका एक पोषी कीट है तथा इसके अण्डों पर इस परजीवी कीट को पाला जाता है। ☆☆
एक हैक्टयर में करीब 100 स्थानों पर ट्राइकोकार्ड की Strips लगाना चाहिए।
ट्राइकोकार्ड (Trichocard): पोषी कीट के अण्डों पर ट्राइकोग्राना परजीवी कीट के 16000-20000 अंडो को एक कार्ड (15 x 7.5 cm size) में रखा जाता है जिसे ट्राइकोकार्ड कहते हैं।
ट्राइकोड्रमा (Trichoderma):-
यह एक प्रकार की लाभदायक कवक है जो पौधों में रोग उत्पन्न करने वाली हानिकारक फफूँद / कवकों का भक्षण करती है।
इसका पौधों के रोगों के जैविक नियंत्रण में महत्वपूर्ण स्थान है।
यह चने की विल्ट एंव मूंगफली की कॉलर रोट व्याधि की रोकथाम के लिए प्रभावी जैविक फंफूदनाशी है।
इसकी दो प्रजातिया प्रमुख है ट्राइकोड्रमा विरिडी एवं ट्राइकोड्रमा हर्जनमना
NPV घोल [Nucler Polyhedrosis viras:-
यह विषाणु (वाइरस) का घोल है जो लेपिडोप्टेरा गण की लदों को मारने के लिए चना, कपास एंव अन्य फसलों में काम में लेते है।
NPV का प्रयोग @ 250-500 LE/ha. करते है। LE = लार्वा समतुल्य
बेसिलस थुरेन्जेन्सिस (Bt):-
यह जीवाणुओं (बेक्टिरिया) का घोल है जो लेपिडोप्टेरा गण की लदों को मारने के लिए चना, कपास एंव अन्य फसलों में काम में लेते है।
यह मार्केट में ड्राइपेल, हाल्ट, बोयोबिट व जैवलीन के व्यापारिक नाम से मिलता है।
बीटी की मात्रा 0.5-1.0 लीटर रखी जाती है।
NPV एंव Bt उदर विष (Stomach poison) है।
NPV एंव Bt दिन के समय प्रकाश की उपस्थिति में शिघ्र ही अपघटित हो जाते है इसलिए इनका छिड़काव शाम के समय किया जाता है।
स्युडोमोनास फ्लूरोसेन्स –
यह कवकों एंव सुत्रकृमियों द्वारा होने वाले रोगों के जैविक नियंत्रण के लिए प्रयोग किया जाता है।
बेसिलस सबटेलिस –
यह कवकों द्वारा होने वाले रोगों के जैविक नियंत्रण के लिए प्रयोग किया जाता है।
बेक्टिरीयोफेज –
ऐसे विषाणु जो जीवाणु (बेक्टिरीया) का भक्षण करते है बेक्टिरीयोफेज कहलाते है।
