परिचय:
पालतू भैंस (Buffalo) कृषि और डेयरी उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भैंस न केवल दूध उत्पादन के लिए उपयोगी होती हैं, बल्कि कृषि कार्य, मांस और चमड़ा उद्योग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह लेख भैंस की नस्लों, देखभाल, पोषण, बीमारियों और आधुनिक प्रबंधन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। भारत में सर्वाधिक दूध उत्पादन भेस से किया जाता है एवं भारत में सर्वाधिक पालतू की श्रेणी में आने वाला पशु भी भेस ही है भेस के दूध से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाये जाते है जो देश भर में बेचे जाते है |
भैंस की प्रमुख नस्लें निम्न लिखित है :-
नस्ल / नाम | उत्पत्ति स्थान | प्रमुख विशेषताए | दूध उत्पादन (लीटर/दिन) |
---|---|---|---|
मुर्रा भेस | हरियाणा, पंजाब का क्षेत्र | अधिक दूध उत्पादन, अच्छी सहनशक्ति मुख्य | 8-16 LIT/DAY |
जाफराबादी भेस | गुजरात का क्षेत्र | भारी शरीर, उच्च वसा युक्त दूध मुख्य | 10-12 LIT/DAY |
मेहसाणा भेस | गुजरात का क्षेत्र | अधिक उपज और अनुकूलन क्षमता मुख्य | 6-10 LIT/DAY |
नीलरावी भेस | पाकिस्तान, पंजाब का क्षेत्र | लंबा शरीर, अच्छी दूध उत्पादन क्षमता मुख्य | 8-12 LIT/DAY |
भदावरी भेस | उत्तर प्रदेश का क्षेत्र | उच्च वसा प्रतिशत वाला दूध | 5-8 LIT/DAY |
सुरती भेस | गुजरात का क्षेत्र | छोटे आकार की, अधिक दूध उत्पादन मुख्य | 5-10 LIT/DAY |
पंडरपुरी भेस | महाराष्ट्र का क्षेत्र | तेज़ गति से चलने वाली, अच्छी सहनशक्ति मुख्य | 6-9 LIT/DAY |
भैंस पालन का महत्व जीवन में :-
- दूध उत्पादन: भैंस का दूध गाय के दूध की तुलना में अधिक वसा युक्त होता है, जो पोषण के लिए फायदेमंद होता है।जो मनुष्य के जीवन में बहुत ही आवश्यक है |
- कृषि कार्यों में सहायता: भैंस कृषि कार्यों में उपयोगी होती हैं, विशेष रूप से जोताई और भार खींचने में जो मनुष्यों के कार्यो को सरल सुगम बना सकते है
- आर्थिक लाभ: भैंस का पालन किसानों के लिए एक स्थायी आय स्रोत है भारत में 30% आबादी इन पर निर्भर है
- गोबर और जैविक खाद: भैंस के गोबर से बायोगैस और जैविक खाद बनाई जाती है। जो खेत के लिए महत्वपूर्ण है
भैंसों के पोषण की आवश्यकता:-
पोषण तत्वों के नाम | स्रोत का नाम | दूध का महत्व |
प्रोटीन | दलहन, चारा, सोयाबीन | दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक |
ऊर्जा | अनाज, गुड़, मक्का | शारीरिक विकास और कार्यशीलता |
खनिज | मिनरल मिक्सचर, चूना पत्थर | हड्डियों और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना |
विटामिन | हरा चारा, फलों के अवशेष | प्रजनन और स्वास्थ्य सुधार |
भैंसों की देखभाल और प्रबंधन
- आवास व्यवस्था:
- भैंसों के रहने के लिए हवादार और स्वच्छ शेड जरूरी है।
- गंदगी से बचने के लिए नियमित सफाई आवश्यक है।
- नियमित स्वच्छ पानी की व्यवस्था जरुरी है
- जल और चारा प्रबंधन:
- पर्याप्त साफ पानी और संतुलित आहार प्रदान करें।
- हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं।
- पशु भार के अनुसार आहार देवे
- आहार की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखे
- बीमारियों की रोकथाम:
- नियमित टीकाकरण और कृमिनाशक दवाओं का उपयोग करें।
- पैर और त्वचा संक्रमण से बचाने के लिए सफाई बनाए रखें।
- नियमित पशु को स्नान आदि करवाए
- पशु को चिकित्सा कर्मी को समय समय पर जरुर दिखाए
भैंस पालन में आधुनिक तकनीकें:-
तकनीक | विवरण |
आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन (AI) तकनीक | उच्च गुणवत्ता वाली संतानों के लिए कृत्रिम गर्भाधान तकनीक |
स्मार्ट फार्मिंग तकनीक | IoT आधारित पशु निगरानी तकनीक |
बायोगैस संयंत्र तकनीक | गोबर से ऊर्जा उत्पादन तकनीक |
मशीनरी दूहन प्रणाली तकनीक | स्वचालित मशीनों से दूध निकालना तकनीक |
भैंस पालन का भविष्य
भविष्य में बायोटेक्नोलॉजी, डिजिटल पशु निगरानी, जैविक पशुपालन और नवीनतम डेयरी तकनीकों के माध्यम से भैंस पालन अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनेगा। वर्तमान में भी काफी अनुसन्धान केन्द्रों द्वारा भेस पर कार्य किया जा रहा है जो आर्थिक जीवन के लिए बहुत उपयोगी है |
निष्कर्ष:

पालतू भैंसों का पालन न केवल एक आर्थिक गतिविधि जो दैनिक जीवन मे बहुत मत्हैवपूर्ण है बल्कि यह पोषण, रोजगार और पर्यावरण सुधार में भी योगदान देता है।भेस का दूध उत्पादन में भारत में सबसे बड़ा योगदान है यदि आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक प्रबंधन का समावेश किया जाए, तो यह उद्योग किसानों और डेयरी व्यापारियों के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। साथ ही भेस एक दूध के लिए दैनिक जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा है
