मुर्गी पालन के बारे में सामान्य जानकारी:-

मुर्गी पालन के बारे में सामान्य जानकारी:-

मुर्गी के बारे में सामान्य जानकारी

भूमिका:-

मुर्गी (Chicken) एक घरेलू पक्षी है, जिसे मुख्य रूप से मांस और अंडों के लिए पाला जाता है। यह विश्वभर में सबसे अधिक पाले जाने वाले पक्षियों में से एक है। मुर्गियों को उनके उपयोग, नस्ल, और पालन-पोषण के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है। राजस्थान में सर्वाधिक मुर्गी पालन अजमेर में होता है एक मुर्गी के अंडे का ओसत भार 58 gm होता है अंडा अपमिश्रित पदार्थ है अंडे का कवच मुख्यत : कैल्सियम कार्बोनेट से बना होता है मुर्गे के अंडे में पीलापन जेंथोथिल के कारण होता है मुर्गियों की प्रमुख बीमारी रानीखेत है मुर्गियों को प्रतिदिन 14- 16 घंटे प्रकाश की आवश्कता होती है देशी मुर्गी ओसत अंडा 60 देती है एवं विदेशी मुर्गिया लगभग 260 अंडे प्रतिवर्ष देती है


मुर्गी की जानकारी सारणी


मुर्गी से जुड़े प्रमुख विषय :-

  1. मुर्गी की उत्पत्ति और इतिहास – मुर्गी पालन का प्राचीन काल से आधुनिक युग तक का सफर।
  2. मुर्गी की नस्लें – अंडा देने वाली और मांस के लिए पाली जाने वाली नस्लें दोनों प्रकार की होती है |
  3. मुर्गी पालन (Poultry Farming) – मुर्गी पालन के तरीके, लाभ और चुनौतियाँ दोनों हो सकती है |
  4. मुर्गी के अंडे – पोषण मूल्य, उपयोग और उत्पादन या नुकसान आदि हो सकते है |
  5. मुर्गी का मांस – स्वास्थ्य लाभ और प्रसंस्करण अलग अलग रूप से देखा जा सकता है |
  6. मुर्गी के रोग और बचाव – प्रमुख बीमारियाँ और उनके निवारण के उपाय आदि जानकारी |
  7. मुर्गी और पर्यावरण – मुर्गी पालन का पर्यावरण पर प्रभाव अलग अलग देखा जा सकता है |
  8. औद्योगिक और घरेलू मुर्गी पालन – बड़े और छोटे स्तर पर मुर्गी पालन की विधियाँ अलग अलग होती है |

मुर्गी की नस्लें:-

मुर्गियों की नस्लें मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:

  • अंडा देने वाली नस्लें (Layer Breeds): ये नस्लें अधिक अंडे देती हैं।
    • व्हाइट लेगहॉर्न
    • रोड आइलैंड रेड
    • ब्राउन लेगहॉर्न
    • मिनोर्क
  • मांस के लिए पाली जाने वाली नस्लें (Broiler Breeds): इनका विकास तेज़ी से होता है और ये अधिक मांस प्रदान करती हैं।
    • कॉर्निश क्रॉस
    • ब्रायलर पायनियर
    • कोचिन
    • हेम्पशायर
  • दोहरी उपयोगिता नस्लें (Dual Purpose Breeds): ये नस्लें अंडे और मांस दोनों के लिए उपयुक्त होती हैं।
    • ऑस्ट्रेलॉर्प
    • ससेक्स
    • प्लायमाउथ रॉक
    • रोड आयर लैंड
    • रेड
  • देशी नस्ले : ये नस्ल छोटे स्तर पर गरेलू प्रयोग के लिए घरो में पाली जाती है |
    • कड़क नाथ
    • असील
    • चट घाव
    • घागस

इन्क्यूबेशन / अंडा सेना:

  • अण्डे से चूजे निकलने की क्रिया है।
  • मुर्गीयों में अण्डे से चूजे निकलने (Incubation period) में 21 दिन का समय लगता है।
  • अण्डे सेने की प्राकृतिक विधि में एक मुर्गी 8-10 अण्डों को सेने का काम करती है।
  • अण्डे सेने की कृत्रिम (इन्क्युबेटर) विधि में 3000 तक अण्डे एक साथ सेकें जा सकते है।
  • मुर्गीयों में अण्डे सेने का उपयुक्त समय फरवरी-मार्च है
  • मुर्गीयों के कृत्रिम रूप से अण्डे सेने हेतु इन्कुबेटर मशीन का तापमान [100°F एंव नमी 60-70% तक रखी जाती है।

मुर्गी पालन के तरीके:-

1. पारंपरिक मुर्गी पालन

यह विधि छोटे किसानों द्वारा अपनाई जाती है, जिसमें मुर्गियों को खुले में रखा जाता है।

2. औद्योगिक मुर्गी पालन

इस विधि में बड़े पैमाने पर मुर्गी पालन किया जाता है, जिसमें आधुनिक तकनीक और संसाधनों का उपयोग किया जाता है।

3. जैविक मुर्गी पालन

इस पद्धति में मुर्गियों को प्राकृतिक वातावरण में पाला जाता है और रसायन-मुक्त आहार दिया जाता है

मुर्गियों की नस्ल एवं उनका उत्पति स्थल :-

नस्ल का नाम उत्पति स्थल का नाम
रोड आयर लैंड अमेरिका
वाइट लेग हॉर्न इटली
रेड कोर्निश इग्लैंड
कड़क नाथ मध्य प्रदेश (MP) भारत

मुख्य रोग :-

मुख्य रोग निवारण / दवाई
रानी खेत F1 -STRAIN RDF -1
चेचक बोरेलिओटा,एबिपोक्स
मेरेक्स मेरेक्स वेक्सिन
खुनी पेचिस सल्फा ड्रग
बर्ड फ्लू H-5 वेक्सिन

समाधान:-

  • नियमित टीकाकरण करावे
  • स्वच्छता और उचित खानपान का ध्यान रखे गुणवत्ता से निपुण आहार ही देवे
  • अच्छी नस्लों का चयन का चयन करे और क्षेत्र एवं पर्यावरण अनुसार ही चयन करे
  • आधुनिक तकनीकों का उपयोग करे जिससे कम से कम मृत्यु दर बनी रहे

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