सिंचाई एंव सिंचाई के स्रौत
संचाई (Irrigation):-
फसलों को वाष्पोत्सर्जन की मांग को पूरा करने के लिए कृत्रिम रूप से पौधों की आवश्यकता अनुसार पानी उपलब्ध करवाना ही सिंचाई कहलाता है।
सिंचाई के स्त्रोत :- जहां जल एकत्रित होता है। जैसे नहरे, तालाब, कुँए एंव नलकूप आदि
सिंचाई के साधन :- जिनकी सहायता से सिंचाई के लिए भण्डारण से
जल बाहर निकालते है। जैसे रहट, ढ़ेकली, चरस, पवन चक्की, पम्पसेट, जनेटर, विद्युत एवं सौर ऊर्जा चालित पम्पसेट।
रहट सिंचाई का सबसे प्राचीन साधन है जिससे भूमी में से 10-20 मी. गहराई से जल निकाला जाता है।
भारत में सबसे ज्यादा सिंचाई नहरों द्वारा की जाती है।
राजस्थान में सबसे ज्यादा सिंचाई कुओं व नलकूपों द्वारा की जाती है।
भारत में पंजाब राज्य में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल है जबकि सबसे अधिक कुल सिंचित क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है एवं राजस्थान में कुल क्षेत्रफल का केवल 17% सिंचित क्षेत्र है।
राजस्थान में भारत के कुल सतही जल का 1.16% जल, ही उपलब्ध है।
जबकी राजस्थान में भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41% भाग स्थित है।
विश्व के कुल जल का 97.40 प्रतिशत जल समुद्रों में है जो की उपयोगी नही है केवल 2.70 प्रतिशत जल उपयोगी है।
सौलर पम्प (Solar pump)
यह एक प्रकार का नवीनतम सिंचाई का साधन है जो सौर ऊर्जा चालित है।
यह जमीन के नीचे से 100 मीटर तक पानी उठाता है।
सौलर पम्प में 3 एंव 5 हार्स पॉवर तक मोटर काम में लेने पर अनुदान दिया जाता है।
भारत में सबसे ज्यादा सिंचाई हेतु सोलर पम्प राजस्थान राज्य में स्थापित किये जा रहे है।
इन्दिरा गाँधी नहर (IGNP) :-
इन्दिरा गाँधी नहर द्वारा सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर एवं जैसलमेर जिलों में होती है इस कारण इस नहर को राजस्थान की जीवन रेखा कहते है।
राजस्थान में नहरों के सिंचाई स्रोत में सर्वोधिक सिंचाई इन्दिरा गांधी नहर द्वारा की जाती है।
यह नहर पंजाब के सतलज एंव व्यास नदियों के संगम स्थल पर हरिके बेराज बाँध से निकाली गई है।
इस नहर की कुल लम्बाई 649 Km है।
राज मे कुल लम्बाई 480 km है |
मरू गंगा के नाम से भी जानी जाती है
कवंरसैन लिफ्ट नहर IGNP की 7 लिफ्ट नहर है। नहरों में सबसे लम्बी लिफ्ट मरु गंगा के नाम से जानी जाती है।
इस नहर का अंतिम छोर गडरा रोड बाड़मेर है।
गंगनहर :-
इसे सन 1927 में महाराज गंगासिंह ने बनवाई थी।
इस नहर से, बीकानेर एवं गंगानगर जिलों में सिंचाई की जाती है।
चम्बल नहर :-
यह चम्बल नदी से निकाली गई परियोजना है जिससे कोटा, बूँदी व बाँरा में सिंचाई की जाती है।
गुड़गांव नहर परियोजना:-
यह राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना है
यमुना नदी के ओखला के पास गुड़गांव के समीप से निकाली गई नहर है। जो राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग व कांमा तहसिलों एवं अलवर जिलें के उत्तरी-पूर्वी भाग में सिंचाई की जाती है।
भाखड़ा नहर परियोजना :-
भाखड़ा बाँध का निर्माण पंजाब के नांगल में सतलज एंव व्यास नदियों के संगम स्थल पर किया गया।
यह भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है जिसे पंडित जवाहर लाल नेहरु ने विराट वस्तु कहा है।
भाखड़ा बाँध भारत को सबसे ऊँचा बाँध है।
तथा राज्य में इस नहर से सबसे अधिक सिंचाई हनुमानगढ़ व गंगानगर जिले में होती है।
सिद्धमुख नहर परियोजना :-
इस परियोजना से राज्य के हनुमानगढ़ की भादरा व नोहर तथा चूरू जिले की राजगढ़ व तारानगर तहसिलों में सिंचाई होती है।
नर्मदा नहर :-
यह गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
यह नहर सरदार सरोवर बाँध से निकाली गई है।
इस नहर से राजस्थान में जालौर जिले की सांचौर एवं बाड़मेर जिले की गुढ़ा मलानी तहसील में सिंचाई की जाती है।
राजस्थान में यह पहली ऐसी सिंचाई नहर परियोजना है जहां किसानों को फसलों में सिंचाई करने, हेतु फव्वारा पद्धति का उपयोग करना अनिवार्य है।
सिंचाई पानी का मापन:-
1 क्यूमेक = क्यूबिक (घन) फीट / सैकण्ड = 1000 लीटर / सैकण्ड
1 क्यूसेक = क्यूबिक (घन) फीट / सैकण्ड = 28.3 लीटर सैकण्ड
1 ha mm = 10000 Litre
1 ha cm = 100000 Litre
1 ha m = 10000000/107 Litre
1 acre – inch = 102.8 क्यूबिक (घन) मीटर
1 क्यूबिक (धन) मीटर = 1000 लीटर
1 गेलन = 4.5 लीटर
1 हैक्टयर = 10,000 वर्ग मीटर
बीघा = 2530 वर्ग मीटर
1 हैक्टयर = 2.47 एकड़
1 एकड़ = 0.4 हैक्टयर
