प्रस्तावना रूप
जैविक खेती (Organic Farming) आधुनिक खेती का एक सतत और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। यह खेती प्राकृतिक तरीकों पर आधारित होती है, जिसमें रसायनों, कीटनाशकों, और सिंथेटिक उर्वरकों के उपयोग को समाप्त कर दिया जाता है। यह विधि भूमि की उर्वरता बढ़ाने, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करती है
जैविक कृषि क्या है????
जैविक खेती एक ऐसी कृषि विधि है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि जैविक खाद, हरी खाद, फसल चक्रण, और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य स्वस्थ मिट्टी, जल और पर्यावरण को बचाए रखना है।
जैविक खेती के प्रमुख तत्व
क्रम संख्या | तत्व | विवरण |
1 | जैविक खाद | गोबर, कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट |
2 | हरी खाद | दलहनी फसलें जैसे मूंग, उड़द |
3 | फसल चक्रण | विभिन्न फसलों का क्रमबद्ध उत्पादन |
4 | मिश्रित खेती | विभिन्न फसलों और पशुपालन का समावेश |
5 | प्राकृतिक कीटनियंत्रण | नीम तेल, जैव कीटनाशक |
6 | जल संरक्षण | ड्रिप सिंचाई, वर्षा जल संचयन |
जैविक खेती के लाभ
1. पर्यावरणीय लाभ:-
- भूमि की उर्वरता अच्छी बनती है।
- जल स्रोतों का संरक्षण करता है।
- जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।
2. आर्थिक लाभ:-
- उत्पादन लागत कम हो जाती है
- जैविक उत्पादों की कीमत अधिक होती है
- दीर्घकालिक लाभकारी खेती संभव होती है।
3. स्वास्थ्य संबंधी लाभ:-
- जैविक उत्पाद रसायनमुक्त होते हैं एवं शुद्ध होते है
- पोषण तत्व अधिक होते हैं।
- कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा कम हो जाता है
जैविक खेती के प्रमुख घटक
1. जैविक खाद:-
प्रकार | विवरण |
गोबर खाद | पशुओं के गोबर से तैयार |
वर्मीकम्पोस्ट | केंचुओं द्वारा तैयार जैविक खाद |
हरी खाद | दलहनी फसलों से तैयार |
2. प्राकृतिक कीटनाशक:-
- नीम तेल
- लहसुन-मिर्च का मिश्रण
- ट्राइकोडर्मा जैव-फफूंदनाशी
3. फसल चक्रण और मिश्रित खेती:-
- धान-गेहूं के स्थान पर दलहनी और तिलहनी फसलें उगाना
- विभिन्न प्रकार की फसलों का एक साथ उत्पादन
जैविक खेती करने की प्रक्रिया
1. मिट्टी की तैयारी:-
- भूमि की जांच कर उचित पोषण सामग्री जोड़ना।
- जैविक खाद का उपयोग कर उर्वरता बढ़ाना।
2. बीज चयन और बुवाई:-
- जैविक प्रमाणित बीजों का चयन करे
- प्राकृतिक विधियों से बीज उपचार करे
3. सिंचाई प्रबंधन–
- ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन का उपयोग करे
- मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग
4. फसल संरक्षण:-
- जैविक कीटनाशकों और प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करे
- समन्वित कीट प्रबंधन तकनीक अपनाना करे
जैविक प्रमाणन और विपणन
1. प्रमाणन प्रक्रिया:-
चरण | विवरण |
पंजीकरण | किसान को जैविक प्रमाणन संस्था में पंजीकरण कराना होता है। |
भूमि रूपांतरण | जैविक खेती के लिए 2-3 साल का रूपांतरण समय होता है। |
निरीक्षण | प्रमाणन एजेंसी द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। |
प्रमाण पत्र | सभी शर्तें पूरी करने पर जैविक प्रमाण पत्र दिया जाता है। |
2. विपणन और बिक्री:-
- जैविक बाजार और सुपरमार्केट में बिक्री।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जैविक उत्पाद बेचना।
- जैविक उत्पाद मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेना।
निष्कर्ष
जैविक खेती न केवल पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों की आय को भी बढ़ाने में सहायक है। यह एक सतत और दीर्घकालिक कृषि प्रणाली है, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पाद प्रदान करती है। सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी प्रदान कर रही है।
अगर आपको स्वस्थ जीवनशैली और सतत कृषि की दिशा में कदम बढ़ाना है, तो जैविक खेती को अपनाना एक बेहतरीन विकल्प है। जिससे देश की कृषि में सुधार किया जा सकता है और खेत देश को रोग मुक्त किया जा सकता है
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