1.वृद्धि बढ़ाने वाले [Growth Promotors) हार्मोन्स-
प्राकृतिक या फाइटो हार्मोन्स – ऑक्जिन (IAA), साइटोकाईनिन जिब्रेलिन
संश्लेशित हार्मोन्स – ऑक्जिन (IBA, NAA, C)
- ऑक्जिन (Auxins):-
✓ ऑक्जीन नाम F.W वेन्ट ने दिया, इसे टिस्यू कल्चर के काम में लेते हैं।
✓ ये पौधे की नई पत्तियों एवं उपरी कलिकाओं में बनता है, इसलिए इसके प्रभाव को शीर्ष कलिका प्रभूत्व (Apical bud dominance) कहते है
✓ प्राकृतिक रूप से यह सूर्य के प्रकाश में पौधों में उत्पन्न होता है।
✓ इसका मुख्य कार्य पादप कोशिका के आकार व परिमाप में वृद्धि करना है।
(a) प्राकृतिक ऑक्जिन्स (Natural auxins):-
✓ पौधे में प्राकृतिक अवस्था में स्वतः उत्पन्न होते है।
✓ इण्डोल एसीटीक अम्ल (IAA)
✓ यह पौधे की वृद्धि, शीर्ष कलिका प्रभूत्व व पत्तियों को गिरने से रोकता है।
(b) अप्राकृतिक या संश्लेषित ऑक्जिन:-
1.इण्डोल ब्युटरीक अम्ल (IBA)–
✓ यह व्यापारिक नाम ‘रूटेक्स’ अथवा सेरॉडेक्स के नाम से बाजार में मिलता है।
✓ प्रर्वधन में कलम से शीघ्र जड़ फूटान हेतु 1000-2500 ppm की सान्द्रता काम में लेते है।
✓ IBA विशेषत जड़ विकसित करने का हार्मोन है।
2.नैफ्थेलिक एसेटिक अम्ल (NAA):-
✓ इसका व्यापारिक नाम प्लेनोफिक्स है।
✓ यह कच्चे फलों को गिरने से रोकने के लिए मिर्च, टमाटर, नीबू में काम लिया जाता है।
✓ NAA विशेषत फूल एवं फल से सम्बन्धित होर्मोन है।
✓ पुष्पन की क्रिया नियत्रण करता है।
3. 2,4-D:-
✓ यह 20 ppm से कम सान्द्रता पर हार्मोन का कार्य करता है तथा 20
✓ ppm से अधिक सान्द्रता पर खरपतवार नाशी का काम करता है।
✓ 1942 में विश्व में पहला कार्बनिक खरपतवारनाशी 2. 4-D को ही खोजा गया था।
✓ यह पौधे में फलों को गिरने से बचाता है।
- साइटोकाईनिन (Cytokinin):-
✓ यह केवल प्राकृतिक अवस्था में पौधे के अन्दर ही निर्मित होता है।
✓ इसका मुख्य कार्य कोशिका विभाजन (Cell division) में सहायता करना है।
✓ यह सुसुप्ता अवस्था तोड़ने के काम भी आता है
✓ रंध्रो खुलने में सहायक है।
✓ पौधों की जीर्ण अवस्था को दूर करना (रिच मोण्ड लेग इफेक्ट)
- जिब्रेलिन (Gibbrellins):-
✓ यह जिब्रेलिक अम्ल के रूप में उपलब्ध है।
✓ पादप कोशिका के आकार व परिमाप में वृद्धि व कोशिका विभाजन में सहायक
✓ इसका प्रयोग फलों के आकार में वृद्धि तथा अंगूर में बीजरहित
(पार्थेनोकार्पी / अनिषेक फलन) में लेते हैं।
✓ यह भी सुसुप्ता अवस्था तोड़ने के लिए काम में लेते है।
✓ यह फलों के विरलीकरण (Thinning) फलों को लगने (Fruit setting) व पुष्पन क्रिया को प्रेरित करता है।
✓ पौधों में आनुवांशिक बौनेपन को दूर करता है।
- वृद्धि रोकने वाले (Growth retardant or inhibitors)- ये पौधे की वृद्धि रोकते है:
1.एब्सीसिक एसिड (ABA) –
✓ यह पौधों में सुसुप्ता अवस्था प्रेरित करता है तथा रन्ध्र बन्द (Stomata closing) करने में सहायक है।
✓ इसे एन्टीजिब्रेलिन्स हार्मोन्स भी कहते है।
✓ यह पौधों में प्रतिकूल वातावरणीय दशाओं में पत्तियों एवं शाखाओं के बीच एब्सीसिक परत बनाकर पत्तियों को गिरा देता है।
✓ जिससे प्रतिकूल वातावरणीय दशा में पौधे जीवत रह सके।
✓ इसे स्ट्रेस हामोंन भी कहते है।
2.मैलिक हाइड्रेजाइड (MH):-
✓ यह भी पौधों की वृद्धि रोकने वाला हार्मोन है।
✓ यह मुख्यतया भण्डारण में प्याज व आलू के अंकुरण या फूटान रोकने के काम में लेते है
✓ इसका व्यापारिक नाम ‘स्प्रटस्टोप’ है।
✓ तम्बाकू में सर्कस नियंत्रण में।
- इथिलीन (C2H4) :-
✓ यह एक गैस के रूप में काम आने वाला हार्मोन है जो फलों को पकाने के काम में लेते है।।
✓ इसका अशुद्ध रूप एसीटीलीन है जो कुछ विषैला होने के कारण सामान्यतः फलों के पकाने के काम में नही लिया जाता है।
✓ इथिलीन का कृत्रिम रूप इथरेल (द्रव्य) तथा इथेपॉन (गैस के रूप में) फलों को शीघ्र पकाने के काम में लेते है।
इथरेल को केला एव खजूर पकाने के लिए काम में लेते हैं।
✓ जबकी इथेपॉन गन्ना व अंगूर पकाने के लिए काम में आता है।
- साइकोसील (CCC) –
✓ पौधों में पर्णीय वर्द्धि को रोकता है व जडो की वृद्धि को बढ़ाता है। अतः शुष्क 4 खेती में बहुत उपयोगी है।
