भेड़ के बारे में सामान्य जानकारी:-
भेड़ (Sheep) एक पालतू जानवर है जिसे मुख्य रूप से ऊन, दूध और मांस के लिए पाला जाता है। यह कृषि और पशुपालन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में भेड की लगभग 40 नस्ल पायी जाती है भेड़पालन 2700 इ.पू. काल से किया जा रहा है भेड मुख्यत : उन के लिए पाली जाती है एवं कुछ क्षेत्रो में इसका उपयोग मांस के लिए भी किया जाता है भेड़के दूध में सर्वाधिक वसा पायी जाती है जो मुख्य विशेषता है
भेड़ की जानकारी सारणी .1
विशेषता | विवरण |
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वैज्ञानिक नाम | Ovis aries |
कुल (Family) | Bovidae |
उप-परिवार (Subfamily) | Caprinae |
जीवनकाल /जीवित रहने का समय | 10-12 वर्ष |
आहार/ भोजन | शाकाहारी (घास, पत्तियां) आदि |
वास स्थान/ रहने का स्थान | विश्वभर में, विशेषकर पहाड़ी और घास के मैदान |
उपयोग/ मनुष्यों द्वारा इनका प्रयोग | ऊन, दूध, मांस, खाद |
प्रजनन काल | वर्ष में एक बार |
बच्चे | ज्यादातर एक या दो मेमने |
सामाजिक व्यवहार | झुंड में रहना पसंद करती हैं |
भेड़ से जुड़े प्रमुख विषय :-
- भेड़ की प्रजातियाँ – विश्व में पाई जाने वाली प्रमुख भेड़ प्रजातियाँ।
- भेड़ का पालन (Sheep Farming) – भेड़ को पालने के सही तरीके और लाभ।
- ऊन उत्पादन – भेड़ों से ऊन प्राप्त करने की प्रक्रिया और उपयोग।
- भेड़ का आहार – भेड़ों के खानपान की जानकारी।
- भेड़ की बीमारियाँ – प्रमुख रोग और उनके बचाव के उपाय।
- भेड़ और पर्यावरण – भेड़ पालन का पर्यावरण पर प्रभाव।
भेड़ से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें :-
✔ भेड़ें आमतौर पर शांत स्वभाव की होती हैं।
✔ इन्हें झुंड में रहना पसंद होता है, जिससे वे सुरक्षित महसूस करती हैं।
✔ भेड़ की ऊन से गर्म कपड़े बनाए जाते हैं।
✔ कुछ भेड़ों से दूध भी प्राप्त किया जाता है, जिसका उपयोग चीज़ और घी बनाने में किया जाता है।
✔ भेड़ की नस्लों के आधार पर उनकी विशेषताएँ भिन्न होती हैं।
✔ विश्व में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और चीन ऊन उत्पादन में अग्रणी देश हैं।
भेड़ों में होने वाली प्रमुख बीमारियां ये हैं:
चेचक ,एंटर टोक्सिमिया, निमोनिया ,प्लूरिसी,गिड़ी,PEM आदि भेडो की मुख्य बीमारी है जिसके संपर्क में आने से कई बार इनकी म्रत्यु भी हो जाती है |
इन बीमारियों के बारे में ज़्यादा जानकारी भी दी गयी है :-
- भेड़ चेचक और बकरी चेचक, वायरल रोग हैं. ये सभी भेड़ और बकरियों को संक्रमित कर सकते हैं.
- एंटरोटॉक्सिमिया, क्लोस्ट्रीडियम परफ़्रिंजेंस नाम के बैक्टीरिया से होता है. यह सभी उम्र की भेड़ों और बकरियों में होता है.
- निमोनिया और प्लूरिसी, सभी भेड़ों में हो सकती है. गर्मियों के दौरान दूध छुड़ाने वाली भेड़ों में इसका प्रकोप सबसे आम है.
- गिड रोग में, मेमने ज़्यादातर छह से 18 महीने की उम्र के बीच प्रभावित होते हैं.
- पीईएम के लक्षण न्यूरोलॉजिकल होते हैं. इसमें शुरुआती लक्षण आंशिक से लेकर पूर्ण अंधेपन तक होते हैं.
इन बीमारियों से बचने के लिए, ये उपाय अपनाए जा सकते हैं:-
- झुंड में सख़्त स्वच्छता और स्वास्थ्यकर उपाय अपनाने चाहिए.
- बाज़ार से खरीदे गए बीमार पशुओं को निश्चित अवधि तक निगरानी के बिना नहीं लाना चाहिए.
- पशुओं के लिए साफ़-सुथरे चारे व पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
- पशुओं का नमी व वर्षा से बचाव करें.
- पशुओं का उचित समय पर टीकाकरण करवाएं.
- पशुओ को स्वच्छ आहार देवे
- पशुओ का समय समय पर टिका करन करावे
- पशुओ की नियमित सफाई करे
- अगर कोई पशु संक्रमित है तो उसे अन्य पशु से अलग रखे
- पशु को चिकित्सक के सुजाव से ही दवाई देवे
- पशु को समय समय पर इलाज भी देते रहे
